ऐसी मार-पीट, खींच-तान बड़ी देर तक होती रही। एक तरफ मीरावती के जेठ और देवर का तर्क था कि मग्घे की मृत्यु मीरावती की लापरवाही एवं अपलक्ष्य से हुई है इसीलिए उसे वहां से चले जाना चाहिए दूसरी तरफ रोतीफफकती मीरावती थी जो पति-वियोग से आक्रान्त थी, उसके चार अबोध बच्चे थे, वह तर्क विहीन थी। उसके साथ सिर्फ उसके आंसू, सिसकी और दुहाइयां थीअगल-बगल के लोग परेशान थे कि कहीं थाना-पुलिस न हो जाए। इस खुसर पुसर से आजिज होकर गांव के चौकीदार ने प्रधान को बताया कि अगर फौरन दाह-संस्कार नहीं कराया गया तो मजबूरन उसे थाने को खबर करनी पड़ेगी और एक बार अगर थाने को खबर दे दी गई तो कई लोग कानून के लपेटे में आ सकते हैं। यह बात प्रधान की समझ में तुरंत आ गई कि अगर कहीं बात बढ़ गई तो उसने पिछले दो साल से मनरेगा की जो फर्जी मजदूरी मृतक के नाम पर हड़पी है, उसकी भी पोल खुल सकती है।
ऐसी मार-पीट, खींच-तान बड़ी देर तक होती रही। एक तरफ मीरावती के जेठ और देवर का तर्क था कि मग्घे की मृत्यु मीरावती की लापरवाही एवं अपलक्ष्य से हुई है इसीलिए उसे वहां से चले जाना चाहिए दूसरी तरफ रोतीफफकती मीरावती थी जो पति-वियोग से आक्रान्त थी, उसके चार अबोध बच्चे थे, वह तर्क विहीन थी। उसके साथ सिर्फ उसके आंसू, सिसकी और दुहाइयां थीअगल-बगल के लोग परेशान थे कि कहीं थाना-पुलिस न हो जाए। इस खुसर पुसर से आजिज होकर गांव के चौकीदार ने प्रधान को बताया कि अगर फौरन दाह-संस्कार नहीं कराया गया तो मजबूरन उसे थाने को खबर करनी पड़ेगी और एक बार अगर थाने को खबर दे दी गई तो कई लोग कानून के लपेटे में आ सकते हैं। यह बात प्रधान की समझ में तुरंत आ गई कि अगर कहीं बात बढ़ गई तो उसने पिछले दो साल से मनरेगा की जो फर्जी मजदूरी मृतक के नाम पर हड़पी है, उसकी भी पोल खुल सकती है।